मोहन राकेश
अत : अध्यापन कार्य को छोड़कर हिन्दी की कहानी पत्रिका ' सारिका ' का सम्पादन कार्य करने लगे , परन्तु कार्यालय की नीरस कार्य - पद्धति से ऊबकर इन्होंने यह कार्य भी छोड़ दिया । सन् 1963 ई० से जीवन के अन्त तक स्वतन्त्र - लेखन इनकी जीविकोपार्जन का साधन रहा । इन्हें ' नाटक की भाषा ' पर कार्य करने के लिए नेहरू फेलोशिप भी प्राप्त हुई थी , लेकिन 1972 ई० में असमय मृत्यु के कारण यह कार्य पूर्ण न हो सका ।
ये जीवन भर आर्थिक अभावों से जूझते रहे , किन्तु इन्होंने कभी मन के विपरीत कोई समझौता नहीं किया । इनका वैवाहिक जीवन भी टता - बिखरता रहा । इन्हें नये - नये स्थलों की यात्रा करना बहुत पसन्द था । इनकी रचनाओं में गहन संवेदना व उच्चकोटि की बौद्धिकता विद्यमान है ।
साहित्यिक सेवाएँ- राकेश जी ने स्वतन्त्रता के पश्चात् अपने साहित्य में भारतीय मानस के नयी
परिस्थितियों में बदले हुए जीवन को भोगने का सर्वप्रथम सफल चित्रण किया । इन्होंने
हिन्दी - कहानी को प्राचीन परम्परा से मक्त कर नयी कहानी के रूप में प्रतिष्ठित
किया । इनकी ' नये
बादल ' कहानी इसी दिशा में सफल प्रयोग है । इन्होंने अपने
उपन्यासों में आज के निरन्तर बदलते हुए मानव - जीवन के जटिल द्वन्द्व का यथार्थ
अंकन किया है । मोहन राकेश जी ने यात्रावृत्त नामक विधा को नया स्वरूप और आधार
प्रदान किया । इनके ' आखिरी चट्टान तक ' नामक यात्रावृत्त में प्रकृति का मार्मिक चित्रण और नये जीवन - मूल्यों की
खोज की गयी है । इन्होंने नाटक के क्षेत्र में युगान्तर उपस्थित करके हिन्दी की
नयी नाटक विधा को जन्म दिया । प्रसाद जी के बाद हिन्दी नाटक विधा में नये युग का
सूत्रपात मोहन राकेश ने ही किया ।
कतियाँ- राकेश
जी ने नाटक , उपन्यास
, कहानी , यात्रावृत्त , निबन्ध आदि विविध विधाओं पर साहित्य - सृजन किया । इनकी प्रमुख रचनाएँ
निम्नलिखित हैं
1 . उपन्यास अन्तराल , अँधेरे बन्द कमरे , न आने वाला कल , नीली रोशनी की बाँहें ( अप्रकाशित ) ।
2 . नाटक आषाढ़ का एक दिन , लहरों के राजहंस , आधे - अधूरे ।
2 . नाटक आषाढ़ का एक दिन , लहरों के राजहंस , आधे - अधूरे ।
3 . एकांकी अण्डे के छिलके , दूध और दाँत ( अप्रकाशित ) ।
4 . अनूदित नाटक मृच्छकटिक , शाकुन्तल ( अप्रकाशित ) ।
5 . कहानी - संग्रह क्वार्टर , पहचान , वारिस । इन तीनों संग्रहों में कुल 54
कहानियाँ हैं ।
6 . यात्रावृत्त आखिरी चट्टान तक ।
7 . निबन्ध - संग्रह परिवेश , बकलमखुदा
8 . जीवनी - संकलन समय सारथी ।
9 . डायरी मोहन राकेश की डायरी ।
10 . सम्पादन सारिका ( हिन्दी मासिक कहानी पत्रिका ) । '
आषाढ़ का एक दिन ' इनका सुविख्यात नाटक है ,
जिस पर इन्हें हिन्दी साहित्य अकादमी से पुरस्कार प्राप्त हुआ ।
साहित्य में स्थान- मोहन राकेश जी नयी कहानी के प्रतिष्ठापक , यात्रावृत्त विधा के प्रवर्तक एवं नयी नाटक
परम्परा के जन्मदाता माने जाते हैं । वे आज के बदलते हुए जटिल मानव - जीवन के
द्वन्द्व का यथार्थ अंकन करने में कुशल हैं । अनेक नवीन विधाओं का प्रवर्तन कर
मोहन राकेश जी ने हिन्दी साहित्य को समृद्ध किया है । निश्चय ही मोहन राकेश जी
स्वतन्त्रता पश्चात् के हिन्दी गद्य - साहित्य के जागरूक व प्रतिभासम्पन्न रचनाकार
हैं और हिन्दी - साहित्य को इन जैसा संवेदनशील एवं प्रखर प्रतिभाशाली कोई अन्य
लेखक अभी तक नहीं मिल पाया है ।