साहित्यिक योगदान-
जी० सुन्दर रेड्डी ने दक्षिण भारत की चारों भाषाओं तमिल , तेलुगू , कन्नड़ और मलयालम तथा उनके साहित्य का
इतिहास प्रस्तुत करते हुए उनकी आधुनिक गतिविधियों का सूक्ष्म विवेचन प्रस्तुत किया
है । इनके साहित्य में इनका मानवतावादी दृष्टिकोण स्पष्ट झलकता है । तेलुगूभाषी
होते हुए भी हिन्दी भाषा में रचना करके इन्होंने एक श्रेष्ठ उदाहरण प्रस्तुत किया
है । ऐसा करके आपने दक्षिण भारतीयों को हिन्दी और उत्तर भारतीयों को दक्षिण भारतीय
भाषाओं के अध्ययन की प्रेरणा दी है । आपके निबन्ध हिन्दी , तेलुगू
और अंग्रेजी भाषा की पत्र - पत्रिकाओं में प्रकाशित हुए हैं । भाषा की समस्याओं पर
अनेक विद्वानों ने बहुत कुछ लिखा है , किन्तु भाषा और
आधुनिकता पर वैज्ञानिक दृष्टि से विचार करने वालों में प्रोफेसर रेड्डी सर्वप्रमुख
हैं ।
रचनाएँ-
अब तक प्रोफेसर रेड्डी के कुल 8 ग्रन्थ प्रकाशित हो चुके हैं ।
(1) साहित्य और समाज , ( 2 ) मेरे विचार , ( 3 ) हिन्दी और तेलग : एक तलनात्मक अध्ययन , ( 4 ) दक्षिण की भाषाएँ और उनका साहित्य , ( 5 ) वैचारिकी , ( 6 ) शोध और बोध , (7) तेलुगू वारुल ( तेलुगू ग्रन्थ ) , ( 8 ) लैंग्वेज प्रॉब्लम इन इण्डिया ( सम्पादित अंग्रेजी ग्रन्थ ) हैैै।
(1) साहित्य और समाज , ( 2 ) मेरे विचार , ( 3 ) हिन्दी और तेलग : एक तलनात्मक अध्ययन , ( 4 ) दक्षिण की भाषाएँ और उनका साहित्य , ( 5 ) वैचारिकी , ( 6 ) शोध और बोध , (7) तेलुगू वारुल ( तेलुगू ग्रन्थ ) , ( 8 ) लैंग्वेज प्रॉब्लम इन इण्डिया ( सम्पादित अंग्रेजी ग्रन्थ ) हैैै।
साहित्य में स्थान-
प्रोफेसर रेड्डी एक श्रेष्ठ विचारक , समालोचक और
निबन्धकार हैं । अहिन्दी भाषी प्रदेश के निवासी होते हुए भी हिन्दी भाषा के ये
प्रकाण्ड विद्वान् हैं । शोधकार्य एवं तुलनात्मक अध्ययन इनके प्रमुख विषय हैं ।
अहिन्दी क्षेत्र में आपका हिन्दी-रचना कार्य, हिन्दी-साहित्य
के लिए वरदानस्वरूप है । गैर हिन्दी भाषी होते हुए भी प्रो0 रेड्डी हिन्दी-साहित्य में एक आदर्श उदाहरण बने हुए हैं ।
nice
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